THYROID PROFILE (T3,T4,TSH) (TFT)

Thyroid profile test assesses the functions of the Thyroid gland by measuring the levels of thyroid hormones (T3 and T4) and TSH. The thyroid profile test is performed: To detect thyroid diseases such as thyroiditis, goitre, and thyroid cancer. To monitor hypothyroidism and hyperthyroidism.

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थायरॉयड रोग (Thyroid Disease) क्या है?

थायरॉयड एक तितली के आकार की ग्रंथि है, जो आपकी गर्दन के सामने, ठीक श्वासनली (ट्रेकिया) के ऊपर होती है। यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉलिज्म (चयापचय) को नियंत्रित करने वाले हार्मोन बनाती है, जिन्हें थायरॉक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) कहा जाता है। जब थायरॉयड ग्रंथि सही तरीके से काम नहीं करती है, तो इससे शरीर में कई समस्याएं हो सकती हैं। इसे थायरॉयड रोग कहते हैं।

थायरॉयड के प्रकार

हाइपोथायरॉयडिज्म (Hypothyroidism)
जब थायरॉयड ग्रंथि कम मात्रा में हार्मोन बनाती है, तो इसे हाइपोथायरॉयडिज्म कहा जाता है। इस स्थिति में शरीर की ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है।

लक्षण:

  • अत्यधिक थकान महसूस होना
  • वजन बढ़ना
  • ठंड लगना
  • सूखी त्वचा और बालों का झड़ना
  • कब्ज (Constipation)
  • अवसाद (Depression)
  • महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म

हाइपरथायरॉयडिज्म (Hyperthyroidism)
जब थायरॉयड ग्रंथि अधिक मात्रा में हार्मोन बनाती है, तो इसे हाइपरथायरॉयडिज्म कहा जाता है। इससे शरीर की मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया तेज हो जाती है।

लक्षण:

  • तेजी से वजन घटना
  • तेज धड़कन (Palpitations)
  • अत्यधिक पसीना आना
  • घबराहट और चिड़चिड़ापन
  • नींद में कठिनाई
  • आँखों का उभरना (Graves' disease में)
  • हाथों में कंपकंपी

गोइटर (Goiter)
यह एक स्थिति है जिसमें थायरॉयड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है। यह थायरॉयड हार्मोन के असंतुलन के कारण हो सकता है या नहीं भी हो सकता है।

थायरॉयड नोड्यूल्स (Thyroid Nodules)
थायरॉयड ग्रंथि में छोटे गांठ (नोड्यूल्स) बन सकते हैं। यह गांठ कैंसरयुक्त भी हो सकते हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में यह सामान्य होते हैं।

थायरॉयड रोग के कारण

  • आनुवंशिकता (Genetics): यदि परिवार में किसी को थायरॉयड की समस्या है, तो इसके होने की संभावना अधिक होती है।
  • आयोडीन की कमी: थायरॉयड हार्मोन बनाने के लिए आयोडीन की आवश्यकता होती है। इसकी कमी से गोइटर या हाइपोथायरॉयडिज्म हो सकता है।
  • ऑटोइम्यून रोग: हाशिमोटो रोग (Hashimoto's) और ग्रेव्स डिजीज (Graves' disease) जैसी स्थितियां थायरॉयड को प्रभावित करती हैं।
  • दवाइयों का प्रभाव: कुछ दवाइयां थायरॉयड की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।

उपचार

थायरॉयड रोग के उपचार का तरीका उसकी स्थिति पर निर्भर करता है:

  • हाइपोथायरॉयडिज्म: इस स्थिति में थायरॉयड हार्मोन की कमी को पूरा करने के लिए सिंथेटिक हार्मोन (लेवोथायरॉक्सिन) दिया जाता है।
  • हाइपरथायरॉयडिज्म: इसे नियंत्रित करने के लिए एंटीथायरॉयड दवाइयां, रेडियोएक्टिव आयोडीन, या सर्जरी की जा सकती है।
  • गोइटर या नोड्यूल्स: उपचार की आवश्यकता इस पर निर्भर करती है कि नोड्यूल्स कैंसरयुक्त हैं या नहीं। कभी-कभी सर्जरी भी की जाती है।

सावधानियाँ

थायरॉयड रोग का समय पर निदान और उपचार जरूरी है। नियमित स्वास्थ्य जांच और डॉक्टर से परामर्श करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि स्थिति को नियंत्रित रखा जा सके और गंभीर समस्याओं से बचा जा सके।



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